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इंदौर के राजा की प्रतिमा की मिट्टी से बनेगी 10 हजार सीड्स बाल
वर्षाकाल के पहले होगा पोधारोपण
इंदौर। मध्यभारत के सबसे लोकप्रिय गणेशोत्सव इंदौर के राजा में शहर, प्रदेश एवं देश वासियो को हर बार नए नए अनुभवो से जोडता है सामाजिक समरसता के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भाव भी इस गणेशात्सव में आम जन तक पहुचाया जात है इसी को लेकर भगवान गणपति की प्रतिमा की जहा स्थापना होती है वही विर्सजन भी देश में पहली बार इंदौर में ही शुरू हुआ था पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढाते है इस बार भी प्रतिमा का विर्सजन स्थापना स्थल पर जलाभिषेक के साथ रविवार 23 सितंबर को होगा.
आलोक दुबे फाउंडेशन विगत पांच वर्षो से शहरवासियों के साथ ही इंदौर को गणेशोत्सव में नई पहचान दिलाई है. इस बार के गणेशोत्सव में विजयनगर चैराहे के समीप सवालाख स्केयर फिट मैदान में आकर्षक अक्षरधाम की हुबहु प्रतिकृति बनाई गई है जिसमें 21 पिफट की भगवान गणेश की इकोफ्रेंडली प्रतिमा की स्थापना की गई है 10 दिवसीय आयोजन के समापन पर 23 सितंबर को विर्सजन भी यही होगा।
देश में इस परंपरा की शुरूआत भी आलोक दुबे के नई सोच को पदर्शीत करती है पर्यावरण संरक्षण के विचार से इस प्रकार की पहल की गई जिमें प्रकृति से मिट्टी प्रतिमा बनाने के लिए ली जाती है और वही मिट्टी प्रकृती को बिना की प्रदुषण के वापस लौटाने की दिशा में अनोखा प्रयास है.
आलोक दुबे ने बताया कि उत्सव हमें जोडते है और हमारी परंपराए पर्यावरण के लिए सदैव हितैषी रही है हालमें देखा जाता है की प्रतिमाओं के विर्सज से नदीयां प्रभावित होती है प्रदुर्षण होता है इसलिए हमने इकोपफ्रेंडली प्रतिमा बनाने का संकल्प लिया । इस प्रतिमा की मिट्टी प्रकृति को वापस लौटा दी जाएगी एवं इसके साथ ही इस मिट्टी से 10 हजार सिड्स बाल बनाकर प्रकृति में हरियाली फैलाई जाएगी.
यह होगी सिड्स बाल बनाने की प्रक्रिया
आलोक दुबे ने बताया कि सिड्स बाल बनाने में विशेष ध्यान दिया जाएगा इसमें पांच वस्तुओं का मिश्रण इन सिड्स बालों को अगल वर्षा तक सुरक्षित रखेगा ओर वर्षाकाल से पहले इन्हे थ्रो ‘जहा पौधेरोपना है वहां पफेका जाएगा’ कर दिया जाएगा। इसमें ‘बोरिक पॉवडर’ बीज की नमी को बनाए रखने के लिए,’लाल मिर्च’ बीज में किडा लगने से बचाने के लिए,’ खाद’ अंकुरण के समय पौषण के लिए एवं ‘बीज’ कनेर , इमली आदि और प्रतिमा से निकने वाली मिट्टीआदि के । इस प्रकार पांच वस्तुओं सिड्स बाल तैयार हो जाती है।यह एक बेहद कारण पौधारोपण पद्धती है । 12500 स्केयर फीट पांडाल की हर वस्तु का होगा रीयूस